25 August 2016

Main Difference Between Plate Earthing and Pipe Earthing in hindi

प्लेट तथा पाईप अर्थिंग में मुख्य अंतर क्या है? 
उत्तर :
प्लेट अर्थिंग बनाने के लिए एक तांबे की प्लेट, जिसका साईज 60 cm × 60 cm × 3.18mm हो, को तीन मीटर नीचे जमीन में गडा़कर उसके साथ नट बोल्ट से कसकर एक तांबे का तार, पाईप के द्वारा बाहर निकाल लेते हैं, यही तांबे का तार अर्थिंग का कार्य करता है। तांबे की प्लेट को अच्छी तरह से नमक व कोयले के मिश्रण से ढंका जाता है।


पाईप अर्थिंग बनाने के लिये 38 mm व्यास तथा 3 मीटर लम्बे एक जी.आई. पाईप को सीधे जमीन में गाड दिया जाता है। यही पाईप अर्थ इलेक्ट्रोड का कार्य करती है। अर्थ तार पाईप के उपरी हिस्से पर नट - बोल्ट के साथ कसी हुई होती है। पाईप के चारों ओर के भाग को कोयले तथा नमक से भर दिया जाता है, ताकि अर्थिंग प्रणाली की कार्यकुशलता बढ़ सकें।

22 August 2016

E.M.F. Induced in the D.C. Generator in Hindi

डी.सी. जनेरेटर में उत्पन्न वि.वा.ब.

जनरेटर में फैराडे के नियम के अनुसार कन्डक्टर में E.M.F. ऊर्फ वि.वा.ब उत्पन्न होता है। वि.वा.ब उत्पन्न करने के लिए मैगनेटिक फ्लक्स, कन्डक्टर और घुमाव (Rotation) की अवश्यकता होती है।

माना कि

Z = आरमेचर कन्डक्टरों की कुल संख्या है।

Φ = फ्लक्स प्रति पोल वेबर में

N = आरमेचर की गति, आर.पी.एम . में

P = पोलों की संख्या

A = समानान्तर मार्गों की संख्या

E = उत्पन्न वि.वा.ब , वोल्ट में

● कन्डक्टर द्वारा एक चक्कर में फ्लक्स का कटाव
= Φ.P

● 1 मिनट या 60 सेकिन्ड में आरमेचर की गति = N

● 1 सेकिन्ड में आरमेचर की गति = N/60

एवं एक सेकिन्ड में कन्डक्टर द्वारा पलक्स का कटाव =  Φ.P.N/60

● एक कन्डक्टर में उत्पन्न वि.वा.ब = एक सैकिन्ड में

फ्लक्स का कटाव = Φ.P.N/60 वोल्ट

● आरमेचर कन्डवटरों की संख्या Z और समानान्तर मार्ग A है तो,

● एक समानान्तर मार्ग में कन्डक्टरों की संख्या = Z/A

◆ एक समानान्तर मार्ग में उत्पन्न वि.वा.ब
= Φ.P.N.Z/60.A

{E = Φ.P.N.Z/60.A}

* लूप वाइन्डिग के लिये P = A

E = Φ.Z.N/60 × P/A

* वेव वाइन्डिग के लिए A = 2

E = Φ.Z.N.P/60×2

या

E = Φ.Z.N.P/120

20 August 2016

Electromotive force and Potential Difference in Hindi

इलैक्ट्रोमोटिव फोर्स (EMF) और पोटैंशियल डिफरेन्स (PD)
जब हम सेल के दोनों इलैक्ट्रोडों को किसी तार के द्वारा जोडते है "तो विद्युत एक दिशा में प्रवाह करती हैं "। अब यहा एक प्रश्न निर्माण होता है ? वह ताकत कहाँ से आती है जिससे विद्युत धारा बहती है ।" दो इलैक्टोड के बीच में पोटेंशियल डिफोन्स होता है । यह पोटेंशियल डिफोन्स  EMF द्वारा बनाया जाता है । सेल के अंदर EMF  रासायनिक क्रिया के कारण पैदा होती है ।
उदाहरण के रूप में , वोल्टिक सेल में विद्युत पैदा करते समय जिंक समाप्त हो जाता है । जिंक की खपत से वह ऊर्जा पैदा होती जो विद्युत धारा के प्रवाह के लिए उत्तरदायी है । दूसरे शब्दों में, स्त्रोत द्वारा हर कूलम्ब से जो ऊर्जा प्राप्त होती है, वह EMF कहलाती है । इसके विपरीत एक कूलम्ब चार्ज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने पर जो ऊर्जा खपत होती है वह दो बिन्दुओं के मध्य का पोटेंशियल डिफरेन्स होता है । आसान भाषा मे कहे तो जब किसी सेल का सर्किट पूर्ण होता हे तो सेल के सिरों पर ऊपलब्ध वोल्टेज P.D. कहलाता है । उदाहरण के लिए चित्र को देखें । इसमें 6 वोल्ट की बैटरी है । इसका अभिप्राय: है कि बैटरी द्वारा हर एक कूलम्ब को बाहरी सर्किट में +ve टर्मिनल से -ve टर्मिनल तक ले जाने मे 6 जूल ऊर्जा प्रदान की जाती है । चित्र में बिंदू P और S के मध्य में पोटेंशियल डिफरेन्स 4 वोल्ट वह ऊर्जा है जो एक कूलम्ब चार्ज P से S तक ले जाने में खपत होती है ।