डी.सी. जनरेटर में निम्न भाग होते हैं—
१) योक (Yoke) - यह कास्ट आयरन या कास्ट स्टील का बना होता है इस पर ध्रुव तथा अन्य भाग लगाए जाते हैं यह मैग्नेटिक फ्लक्स को मार्ग (Path) प्रदान करता है।
२) आर्मेचर (Armature) - एक बेलनाकार ड्रम की तरह होता है इसके दो भाग होते हैं-
अ) आर्मेचर कोर : इसका कार्य मैग्नेटिक फ्लक्स के लिए कम रिलेक्टेंस का मार्ग प्रदान करना है यह स्टील कि पतली लेमीनेशन को इकठ्ठा करके बनाया जाता है। इसमें स्लॉट बने हाेते हैं जिसमें आर्मेचर वाइण्डिंग फिट हाेती है।
ब) आर्मेचर वाइण्डिंग : आर्मेचर काेर के स्लॉट में ताँबे के इन्सुलेटेड ताराें से वाइण्डिंग की जाती है जिसमें विद्युत वाहक बल उत्पन्न हाेता है। वाइण्डिंग दाे प्रकार से की जाती है—
I) लैप वाइण्डिंग - इस वाइण्डिंग में कॉइल एक-दूसरे पर चढ़ाये हुए की जाती है। इसे पैरलल वाइण्डिंग भी कहते हैं क्योंकि इसके पैरलल मार्ग पाेलाें की संख्या के बराबर हाेते हैं। इसके कनेक्शन पैैरलल में किए जाते हैं जैसे कि चित्र २.ब.१ में दिखाया गया है। यह कम वोल्टेज और अधिक करन्ट वाली मशीनों में उपयोग की जाती है।

II) वेव वाइण्डिंग - यह सीरीज वाइण्डिंग हाेती है। इसके कनेक्शन सीरीज में आगे की ओर हाेते हैं। इसमें पैरलल मार्ग केवल दाे ही हाेते हैं। वाइण्डिंग लहर (wave) की भाँति पूरे आर्मेचर पर हाेती है। प्रत्येक मार्ग में आर्मेचर की आधी करन्ट प्रवाहित हाेती है। यह अधिक वोल्टेज और कम करन्ट वाली मशीनों में प्रयाेग की जाती है। चित्र २.ब.२ देखें —
३) ध्रुव (Pole) - यह चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन्न करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं इनके आगे का भाग पाेल शू (Pole shoe) कहलाता है जिसका क्षेत्र अधिक हाेता है, पाेल के पीछे के भाग में पाेल काेर (Pole core) हाेती है।
४) क्षेत्र कुंडली (Field Winding) - पाेल के ऊपर फील्ड वाइण्डिंग लगाई जाती है जाे कॉपर के तार से बनी हाेती है।
५) दिक्-परिवर्तक (Commutator) - यह आर्मेचर में उत्पन्न ए.सी. विद्युत वाहक बल काे डि.सी. विद्युत वाहक बल में बदलने का कार्य करता है। यह हार्ड ड्रॉन कॉपर का बना होता है क्योंकि कॉपर का रजिस्टैंस कम हाेता है।
६) ब्रुश व रॉकर - रॉकर बैकेलाईट से गाेल आकार में बना हाेता है, रॉकर पर ब्रुश तथा ब्रुश हाेल्डर, एडजस्टेबिल स्प्रिंग और पिगटेल वायर हाेता है ब्रुश कम्यूटेटर की करंट काे एकत्रित करता है यह कार्बन का बना हाेता है।
७) बियरिंग - डी.सी. मशीन में घूमने वाले भाग के सहारे के लिए बियरिंग लगायी जाती है इससे बिना कम्पन के राेटर आसानी से घूमता है। यह सामान्यतः दाे प्रकार की होती है— अ) गन मैटल ब्रुश बियरिंग, ब) बॉल या रॉलर बियरिंग।